17 जुलाई 2011

रोज का अपना रिचार्ज.




कभी कुछ पल अपने लिए निकालो...अपने आप को रिचार्ज करो.  कुछ इस तरह 


(इसे अच्छी तरह लगभग दो बार पढ़े और फिर इसे प्रारंभ करे ताकि ये समझ में आने के बाद 

शब्द अधिक प्रभावी हो सके. ) प्रतिदिन लगभग एक बार से दो बार करे 


यह सब आराम के साथ करे........जीवन की सभी मुश्किलें हलकी होती नजर आएगी......

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"अपने आप को शांत होने का आदेश दो..खाली हो जाओ.अपने आप को ढीला छोड़ दो.


कोई आग्रह नहीं. कोई शिकायत नहीं, कोई जिम्मेदारी नहीं. कोई कमी नहीं. किसी


तरफ झुकाव नहीं. किसी की गरज नहीं. कोई बंधन नहीं. अपने आपको सभी चिंताओं


से मुक्त होने दो..खाली हो जाओ.. मस्त हो जाओ.......


सच में तुम्हे कुछ नहीं चाहिए. क्योकि तुम्हारे पास कोई कमी नहीं है, 


जब तुम अपने आप को समझ लेते हो तो तुम मुक्त होते हो...


.अपने आप को सभी बंधनों से मुक्त करदो. तुम्हे बाँधने वाला इस धरती पर कोई 


नहीं. ब्रह्माण्ड में भी नहीं. तुम ही सर्वत्र और स्वतंत्र हो. 


..................अगर कुछ चल रहा है, तो वे 


तुम्हारे विचार. और याद रखो ये तुम्हारी उत्पति है, तुम नहीं..इन्हें भी तटस्थ भाव से


देखते जाओ.किसी भी विचार को बल मत दो. बस देखते रहो...ये भी अपने 


आप शांत होते नजर आयेंगे......"






शांत हो जाओ. शांत हो जाओ. शांत हो जाओ.......हाँ ! बस इसी प्रकार. 


शांत! पूरा शांत.....चारों तरफ शांति.....सब जगह 


शांति........सम्पूर्ण.चेतना शांत है....चारो तरफ पूरा शांति का समंदर 


है.....आहा. मैं पुरे रूप में मस्त हो रहा हूँ.....मस्त हो रहा हूँ....अपने 


आप से वो घोषणा करो जो चाहते हो. "मैं मस्त हूँ , मैं प्रसन्न हूँ. मैं 


आनंद में हूँ, मैं शांत हूँ, मैं मजेदार हूँ. मैं हमेशा खुश और निश्चिंत हूँ.मेरी समझ बहुत


ही गहरी है. सब मुझे प्यार करते है. सब मेरा दिल से आदर करते है...मेरी 


बुद्धि परिपक्व है..... मैं समृद्ध हूँ , मैं उदार हूँ , में सबका ध्यान रखता 


हूँ,     मैं संपन्न हूँ, दौलत मेरी तरफ मुक्त होकर पुरे रूप में बढ़ रही 


है...मुझे कोई कमी नहीं है, कमी होगी भी नहीं,क्यों कि मैं पूर्ण हूँ, मुझे 


अपने आप से कोई शिकायत नहीं है." ...................धीरे धीरे प्रकृति 


आप के अनुकूल होती नजर आएगी और आपके साथ वही होगा जैसा आप चाहते 


हो."............
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यह अभ्यास प्रतिदिन करने से हमारे मस्तिष्क कि सक्रीय कोशिकाओं का आराम


महसूस होता है. और नविन कोशिकाओं का निर्माण स्वतः शुरू हो जाता है. चाहे आप


कि कोई भी उम्र हो, इससे कोई फर्क नहीं होता....यह अपने आप को शारीरिक और


आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ होने का तरिका है.....


यदि किसी को कोई भी प्रकार की बिमारी है और वह मेरी बात से सहमत है कि


"समर्पण प्रक्रिया "से स्वस्थ हुआ जा सकता है तो आप मुझे लिख सकते है...


में आपके लिए व्यवस्थित प्रार्थना प्रक्रिया/सुझाव प्रक्रिया/आदेश प्रक्रिया बना कर भेजूंगा...मेरा 


मानना है कि हम इन प्रक्रियाओं द्वारा असाध्य बीमारियों से मुक्त हो सकते है..........
मेने इसे करके देखा है.......


मस्त रहो - स्वस्थ रहो.......

1 टिप्पणी:

  1. बहुत खूबसूरत , जीवनीय शक्ति से भरी प्रस्तुति , आभार

    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी आयें , अपनी राय दें

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