24 जून 2011

जागरण

अपने आप में विश्वाश करो. अपने आप को पहचानो. तुम्हारे अन्दर वो ताकत है की तुम दुनिया को हिला सकते हो. तुम वह आग का गोला हो, जिससे यह दुनिया जगमगाती है. दूर दूर तक फैला यह समंदर बारिश के रूप में सिर्फ तुम्हारी ताकत से दुनिया की प्यास बुझाता है.
गांधी, राम, बुद्ध, महावीर, नानक, कृष्ण, अब्राहम लिंकन, सेक्सपियर, ग्राहम बेल, कोलंबस, ये लोग ऊपर(आकाश) से नहीं गिरे थे. वे भी अपनी तरह जन्मे थे.उनकी पुस्तके उठाकर पढो. हमसे कही ज्यादा संघर्ष उन्होंने किया था. उन्होंने जंगल में रास्ते बनाये. रास्ता निकलने का इंतज़ार नहीं किया. एक बात हमेशा याद रखो.
"हम तब तक कमजोर है. जब तक हम ऐसा मानते है."

...
एक बार, सिर्फ एक बार, दिल से, बिना किसी की सुने आवाज सुने, एलान करो कि तुम महान हो. तुम उदार हो, तुम्हारी आज्ञा मानने को प्रकृति हाजिर खड़ी है. तुम दुनिया को हिला सकते हो. तुम्हारे पास कोई कमी नहीं है. हर कमी को पूरा करने की ताकत तुम्हारे पास पुरे रूप में है.. ....
अपनी ख़ुशी को फूटने दो. मन को फैलने दो. अपने विचारो से उसे रोको मत. उसे अपने वास्तविक रूप में जाने दो. खुश रहो. क्योकि प्रकृति का हर हिस्सा तुम्हे खुश देखना चाहता है.
जरा सोचो, इंसान इस धरती पर सर्व श्रेष्ठ प्राणी है. तुम इंसान हो. प्रकृति ने तुम्हे खुश देखने के लिए कितनी तैयारी की है. हजारो तरह के फूल तुम्हारी ख़ुशी के लिए ही तो खिलते है. कल कल करती नदियों की सुन्दरता तुम्हारे लिए ही तो है. ......चिड़ियों का चहकना...कोयल की कुक......गाँवों की छटाएं.... झर झर करते झरने.
.............. ..... मालूम नहीं और क्या क्या............. सिर्फ सर्व श्रेष्ट प्राणी के लिए..........सिर्फ तुम्हारे लिए ............जरा अब देखो .....तुम्हारा मन इसे मानने को तुरन्त तैयार हो रहा है.....
इसे समझो ..आराम से समझो .....मेरे कहने पर मत जाओ.....तुम सोचों कि तुम्हारे(इंसान ) बिना इन सबका क्या काम......ये सब तुमहारे लिये ..फिर देखो...........
और तुम्हारे आस पास का वातावरण तुम्हारे अनुकूल होना शुरू हो जाएगा.
तुम्हारे दोस्त तुम्हे समझेंगे. तुम्हारे माता पिता तुम्हारी सुनेंगे. तुम्हारा व्यापार सही चलना शुरू हो जाएगा. लोग तुम्हारे पास वक्त बिताने में ख़ुशी महसूस करेंगे. .......................तुम्हारे साथ वही होगा. जिससे तुम्हे ख़ुशी हो ................ जय हो बस तुमहे तो एक काम हि करना है और वह है "अपने आप मे विशवास करो"
......
.जो चाहिए और जिसे पाना चाहते हो, उसके बारे में सोचो, उसकी सफलता कि कल्पना में जियों...
जो नहीं चाहिए उसके बारे में मत सोचों, उसकी चिंता भी मत करों, क्योकि तुम जिसके बारे में सोचते हो. वह हो कर ही रहेगा. तुम अपनी असफलता की चिंता कर उसे आमंत्रित करते हो. उसे बल देते हो.....
याद रखो ये बोल "इंसान वही बनता है जिसके बारे में वह दिनभर सोचता रहता है."
क्या तुम चाहते हो कि तुम असफल हो जाओ ........ नहीं न .........तो फिर सफलता के बारे में सोचो......... खुश रहों ............तुम्हे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता....तुम लाजवाब हो. एक तुम ही तो हो जिसका कोई विकल्प नहीं है.बाकी सबके विकल्प है... तुम्हारी ... सोच में जादू है... आज नहीं तो कल तुम्हे ये सत्य समझना ही होगा...कि..............
तुम ही
........
दुनिया............
के ..
.................
...... सबसे .
.............
.बड़े.............
..............
.. जादूगर हो..........


याद रखों कि प्रकृति कि कोई भी घटना को घटने के लिए कोई परिश्रम की जरुरत नहीं........
क्या नदी को अपना रास्ता बनाने में जोर लगता है.?
क्या फूलों को खिलने में मेहनत करनी पड़ती है.?
क्या घास को उगने में कोई कठिनाई होती है.
क्या बादलों को अपने अंदर लाखो टन पानी रखने में कोई कष्ट होता है.
अपने आप को सहजता में छोड दो.
सबका भला चाहो................अपनी सफलता के प्रति निश्चिन्त रहो.............पूरा प्रयास करो. पूरी मेहनत करों लेकिन , तनिक भी फ़िक्र नहीं............... सावधानी रखो लेकिन उसकी आड में तनाव पैदा मत रो..............................................अपने आप को मुक्त कर दो.अपने आप को खोल दो.. चिंताए गई, तनाव दूर दूर नहीं है.. तुम अब पहली बार एकदम हलके हो रहे हो.आज तुम अपने आप में हो.. तुम अनोखे और प्रेम करने लायक हो.. एलान करो कि तुम अब खड़े हो रहे हो... अब तुम्हारी आँखे होंसले से चमक रही है...अब तुम मंजील की तरफ कदम बढ़ा रहे हो.. और अब तुम अपनी मंजील पाकर ही रुकोगे.... पाकर ही रुकोगे... हाँ हाँ पाकर ही रुकोगे.... और फिर तुम्हारा कोई शानी भी तो नहीं है... क्या तुमने देखा है कोई इंसान से ज्यादा समझदार प्राणी......
देखते ही देखते खुशिया तुम्हारे चारो तरफ होगी...........................जय हो.