14 जून 2011

सम्पूर्ण जीवन की ओर (पार्ट १)



 कई लोग ध्यान, योग. भक्ति, शांति जैसे शब्दों को सुनकर घबरा जाते है. क्योकि उन्हें लगता है, कि ये शब्द  उनसे उनकी मौज छीन लेंगे, उनसे उनकी जवानी छीन लेंगे, इन शब्दों के सही अर्थों की जिनको सबसे ज्यादा जरुरत है, वे ही नाम सुनकर भाग जाते है. इसीलिए मैं जानकारी के लिए बता दू कि मेरे  ये लेख आपको यह बताएँगे कि आप जितने सुखी है उससे कई गुना सुखी कैसे हो सकते है, उसी जगह पर रहते हुए, बिना कुछ अलग किये, ठाट से दुनिया में जीते हुए सबसे ज्यादा सुखी कैसे हो सकते है, पूरी स्वतंत्रता कैसे पा सकते है.आप पूरा आनंद कैसे ले सकते है.
यहाँ हम बाहरी सुखो की अल्पता को समझते है.


जिंदगी में जीते हुए हमें कई कारणों से कई बार जीवन की अल्पता दिखाई देती है., जिंदगी का अधूरा सुख दिकाई देने लगता है. जैसे---

 "हमारा नाम सुलतान सिंह है. जब कोई पीछे से सुल्तान सिंह कहकर पुकारता है. तो तुरंत पीछे मुडकर देखते है."
आपसे कोई पूछे आप कौन है. तो आप बड़े ठाट से कहते है. - सुल्तान सिंह.
अब ज़रा सोचे कि हमारे माता पिता ने हमारा नाम लल्लू मिया रख लिया होता तो .......
तो भाई! आज हम लल्लू मिया होते. कोई और नाम होता तो कोई और होते. तो फिर आखिर हम है कौन?....
 अब बात तो पक्की है कि हम सुलतान सिंह नहीं है, क्योकि ये तो रखा हुआ नाम है. तो फिर हमारा परिचय क्या है.......
जब इस प्रकार के प्रश्न हमें किसी कारनवश झकजोरते है तो हम अंदर (विवेक) की ओर अग्रसर होते है, सोचने पर मजबूर होते है, मन कि गहराइयों कि ओर बढते है......... हम खोज कि ओर बढते है, पहली बार हम समझने कि कोशिश करते है, क्योकि आज तक हम किसी दूसरे कि सोच पर निर्भर थे... पहली बार स्वयं सोचते है. अपने लिए, बिना किसी सहारे के.....

हम रोज खाते है, पूरी जिंदगी खाते ही रहते है, पेट भरता ही नहीं.
रोज नहाते है. मल मल के नहाते है. मेल जाता ही नहीं.
हमने मालुम नहीं खुशी पाने के लिए, सुख पाने के लिए, मजे के लिए कितने ही तरीके ईजाद किये, लेकिन सुख तो मिलता ही नहीं..... अरे क्षमा करे... मिलता


तो है लेकिन क्षणिक....... लगता है कि ये मिला - ये मिला और पूरा हो जाता है...फिर सुख कि तलाश.... फिर ये मिला ये मिला... और फिर खत्म हो जाता है......... यह बाहरी सुख एक थियेटर कि फिल्म के मजे से ज्यादा मुझे भान नहीं होता... आपकी बात आप जाने....
ज़रा गौर करना है.... (मैं आपको पहले याद दिला दू कि जानना है, सिर्फ मानना नहीं है.) ...... एक व्यक्ति..... सिर्फ एक व्यक्ति... जिसे आप जानते हो, और वह सुखी हो....सोचिये... दिमाग..पर जोर डालिए..................... परिणाम शायद नहीं ही होगा. हाँ ऐसा लग सकता है, कि वह सुखी है, लेकिन जिसके बारें में ऐसा लगे उसे नजदीक से देखना, अंदर से देखना, अपना बनाकर पूछना, .....दुःख ही दिखाई देगा.
......... बस यही रामलीला चलती है. हर बार सुख के मामले में निराशा ही हाथ लगाती है.... मैं यह नहीं कहता कि लोग सुखी नहीं है. कुछ मिलते भी है, जिन्हें यह समझ में आ गया है कि "सुखी कैसे रह सकते है." इसीलिए वे सुखी है, क्योकि उन्हें समझ में आ गया है. कि सुखी होने के लिए बाहर नहीं अंदर झांकना होगा. "ध्यान" भी सुखी होने के तरीको में से एक तरिका है.

संसार में सुख हमेशा ही मिलते हुए दिखाई देते है. लेकिन कभी मिलते ही नहीं. प्यार किया तो लडकी ने धोखा दे दिया. उसने नहीं भी दिया तो अपना मन उस्ससे ऊब गया. या उसका मिजाज सही नहीं है. दूसरी मिली तो उसमे कुछ और सही नहीं है. पांच साल से बिजनेस कर रहे है. उतनी प्रोग्रेस नही हुई, जितनी होनी चाहिए. प्रोग्रेस हुई, पगार बढ़ी तो महंगाई भी बढ़ गयी. आप ज्यादातर लोगो के बारे में जानते होंगे जो पूरी जिंदगी की कमाई से पचास साठ की उम्र तक अपना घर खडा करते है. और अंत में रहने की बारी आई तो खुद चल दिए खुदा के घर. या बेटो ने अपने घर से निकाल बाहर किया.  हर मामले में हाल ऐसा ही है.
भाई! ज्यादातर लोगो कि बुद्धि औसत होती है. फिर क्या कोई ऐसा तरिका भी है. की आदमी दुनिया के हर शौक का आनंद लेता हुआ. बिना किसी का दिल दुखाये, बिना गलत कमाई के, अच्छी दौलत कमा सके, रिश्तों को शानदार मेनेज कर सके सब उससे खुश रहे. उसे सब सुख मिले, वह अपना यह लोक और परलोक दोनों सुधार सके., ................
हाँ है............. दुनिया बनाने वाला अपने बच्चों को दुखी कैसे कर सकता है. ..............एक तरीका है. जो वैज्ञानिक है. जो आधार युक्त है. जो सरल अहि. जो मजेदार है. जो आपकी वर्तमान दुनिया को बदल देगा, चाहे आप किसी भी स्थति में हो.. वही से आपके सभी सुखों का मार्ग प्रसस्त होगा..


मैं हवा में बातें नहीं करता ..................... अगले लेख में मैं आपको इन सबके लिए एक सिंपल तरीका बताने वाला हू. जो आपकी जिंदगी बदल देगा...... मेरे 


पर अहसान करियेगा और अगला लेख जरुर पढ़ियेगा. आपके लिए परम उपयोगी इस अगले लेख का नाम होगा.- सम्पूर्ण जीवन की ओर  (पार्ट २ ) "एक जादू जो आपकी जिंदगी बदल देगा."


 रचना एवं प्रस्तुति. अशोक सोनाणा

















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